वास्कुलर सर्जन कौन होते हैं?
क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसने हृदय विशेषज्ञ (हार्ट स्पेशलिस्ट) से एंजियोप्लास्टी करवाई हो?
क्या आपको यह पता था कि एंजियोप्लास्टी सिर्फ दिल की नसों के लिए नहीं, बल्कि हाथों और पैरों की नसों के लिए भी की जाती है?
और हैरानी की बात यह है कि यह काम हार्ट सर्जन नहीं, वास्कुलर सर्जन करते हैं।
तो आईए जानते हैं — कौन हैं ये वास्कुलर एक्सपर्ट्स, जो ज़रूरत पड़ने पर सिर्फ आपकी नसें ही नहीं, आपकी ज़िंदगी भी बचा सकते हैं!
वास्कुलर सर्जन क्या करते हैं?
हमारे शरीर में रक्त वाहिनियों (ब्लड वेसल्स) का एक घना नेटवर्क होता है — धमनियां (arteries), जो ऑक्सीजन युक्त खून हृदय से शरीर तक ले जाती हैं, और नसें (veins), जो ऑक्सीजन रहित खून को वापस हृदय तक लौटाती हैं।
वास्कुलर सर्जन ऐसे विशेषज्ञ होते हैं जो इन धमनियों और नसों को स्वस्थ बनाए रखते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि शरीर में खून का बहाव बिना किसी रुकावट के चलता रहे, ताकि ब्रेन स्ट्रोक, नस ब्लॉकेज या हाथ-पैर कटने जैसी गंभीर स्थितियां न बने।
इलाज कैसे होता है ?
जैसे हार्ट सर्जन दिल की ब्लॉकेज का इलाज एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी से करते हैं, वैसे ही वास्कुलर सर्जन हाथों, पैरों, पेट या श्रोणि (pelvis/निचले पेट) की नसों में ब्लॉकेज का इलाज पेरिफेरल एंजियोप्लास्टी या पेरिफेरल बायपास सर्जरी से करते हैं।
यह सर्जरी दो तरीकों से की जा सकती है:
- ओपन सर्जरी – इसमें साधारण ऑपरेशन की तरह त्वचा पर चीरा लगाकर रक्त वाहिनियों तक सीधे पहुंचकर उनका इलाज किया जाता है।
- एंडोवास्कुलर सर्जरी – यह एक मिनिमली इनवेसिव (बिना चीरे वाली) तकनीक है, जिसमें एक छोटी सी सुई या छेद के माध्यम से नसों के अंदर से ही इलाज किया जाता है। इसमें मरीज जल्दी चलने-फिरने योग्य हो जाता है और दर्द भी बहुत कम होता है।

मरीज की स्थिति के अनुसार वास्कुलर सर्जन तय करते हैं कि कौन-सा तरीका सबसे सुरक्षित और असरदार रहेगा।
तो क्या वास्कुलर सर्जन और हार्ट (कार्डियोथोरेसिक) सर्जन एक ही होते हैं?
नहीं। वास्कुलर सर्जन हृदय और मस्तिष्क के बाहर की रक्त वाहिनियों (peripheral blood vessels) का इलाज करते हैं — जैसे कमर, पेट और हाथ-पैर की नसें।
इसके विपरीत, कार्डियोथोरेसिक (हार्ट) सर्जन हृदय और छाती से जुड़ी सर्जरी करते हैं, जैसे हार्ट बायपास या वॉल्व रिप्लेसमेंट।
हालाँकि सुनने में ये दोनों विशेषज्ञताएं मिलती-जुलती लग सकती हैं, लेकिन इनकी सर्जरी और तकनीकी कौशल एक-दूसरे से काफी अलग होते हैं:
- कार्डियोथोरेसिक सर्जन मुख्य रूप से ओपन सर्जरी करते हैं।
- वास्कुलर सर्जन ओपन सर्जरी, एंडोवास्कुलर (बिना चीरे वाली सर्जरी), और हाइब्रिड तकनीकों — तीनों में माहिर होते हैं।
यह अनोखी क्षमता — जिसमें एक ही मरीज का इलाज दोनों तकनीकों के संयोजन से किया जा सकता है — वास्कुलर सर्जरी को अन्य सर्जिकल शाखाओं से अलग बनाती है।
इसी कारण वास्कुलर सर्जन को उनकी विशिष्ट विशेषज्ञता और बहु-तकनीकी क्षमता के लिए जाना जाता है।
कब जाएं वास्कुलर सर्जन के पास?
निम्न लक्षणों के लिए वास्कुलर सर्जन की सलाह लेना ज़रूरी है:
- थोड़ी दूर चलने पर होने वाला पैर दर्द
- उभरी हुई नसें दिखना
- लंबे समय से न भरने वाला घाव (1 महीने से अधिक)
- पैरों में अचानक सूजन आना
- अचानक कमजोरी या सुन्नपन
वास्कुलर बीमारी के शुरुआती लक्षणों को मामूली या उम्र से जुड़ी परेशानी समझकर नज़रअंदाज़ करना हानिकारक हो सकता है। अगर समय रहते इलाज न हो, तो ये लक्षण तेज़ी से बढ़ सकते हैं और रक्त प्रवाह रुक सकता है, जिससे शरीर का वह हिस्सा सड़ने लगता है (गैंग्रीन)।

लेकिन अगर समय पर पहचान हो जाए, तो वास्कुलर सर्जन रक्त प्रवाह को फिर से सुचारू कर सकते हैं — और हाथ या पैर को काटने से बचाया जा सकता है।
सही विशेषज्ञ कैसे चुनें?
वास्कुलर सर्जन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। इसलिए ज़रूरी है कि आप ऐसे विशेषज्ञ से सलाह लें जिनके पास उचित प्रशिक्षण और अनुभव हो।

एक वास्कुलर सर्जन बनने के लिए डॉक्टर को पहले MBBS की पढ़ाई करनी होती है। इसके बाद वे तीन साल की उच्च शिक्षा यानी पोस्ट-ग्रेजुएट रेज़िडेंसी (MS या DNB – जनरल सर्जरी) पूरी करते हैं।
इसके बाद वे और तीन साल की सुपर-स्पेशियलिटी ट्रेनिंग (MCh या DrNB – पेरिफेरल वास्कुलर सर्जरी) करते हैं, जो पूरी तरह से वास्कुलर और एंडोवास्कुलर तकनीकों पर आधारित होती है।
यही विशेष प्रशिक्षण उन्हें वास्कुलर बीमारियों और आपातकालीन स्थितियों के इलाज में सटीक, तेज़ और प्रभावी निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
क्यों है यह ज़रूरी?
वास्कुलर सर्जन ही वह योग्य विशेषज्ञ होता है जो समय रहते हाथ या पैर कटने से बचा सकता है, स्ट्रोक की आशंका को कम कर सकता है और सर्जरी के दौरान या बाद में होने वाली जटिलताओं को कुशलता से संभाल सकता है।

सही विशेषज्ञ से परामर्श लेने के लाभ:
- आपात स्थिति में सर्वोत्तम देखभाल
- सटीक वास्कुलर डॉप्लर जांच
- दवाओं, सावधानियों और सर्जरी के बीच संतुलित और सुरक्षित निर्णय
- स्ट्रोक या अंग कटने की स्थिति में समय पर इलाज
- सर्जरी के बाद प्रभावी देखभाल ताकि बीमारी दोबारा न लौटे/li>
चाहे छोटी जांच हो, बड़ी सर्जरी या कोई इमरजेंसी — भरोसा करें, सिर्फ वास्कुलर सर्जन के इलाज पर।