AV फिस्टुला क्या होती है?
AV (आर्टेरियोवेनस) फिस्टुला एक छोटी सी सर्जरी द्वारा धमनी (artery) और नस (vein) को आपस में जोड़कर बनाया जाता है। यह डायलिसिस के दौरान खून का सही बहाव बनाए रखने में मदद करता है। यह फिस्टुला आमतौर पर हाथ में और कुछ विशेष मामलों में पैर में बनाया जाता है। इसे पूरी तरह इस्तेमाल करने योग्य बनने में लगभग 4 से 6 हफ्ते लगते हैं। लंबे समय तक डायलिसिस की ज़रूरत होने पर AV फिस्टुला सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प होता है।

AV फिस्टुला की ज़रूरत क्यों होती है?
जब आपकी किडनियां ठीक से काम करना बंद कर देती हैं, तो खून में शरीर के हानिकारक और अतिरिक्त तरल पदार्थ (waste) जमा होने लगते हैं। इन्हें बाहर निकालने के लिए डायलिसिस की ज़रूरत पड़ती है, जिसमें एक मशीन की मदद से खून को साफ किया जाता है।
डायलिसिस को सही और सुरक्षित तरीके से करने के लिए, डॉक्टरों को सुई के माध्यम से खून को मशीन में भेजकर एक विशेष फिल्टर से पारित करना होता है। AV फिस्टुला इसी प्रक्रिया के लिए एक मजबूत और स्थायी एक्सेस प्वाइंट प्रदान करता है।

एक सफल AV फिस्टुला की पहचान
जब आपकी AV फिस्टुला पूरी तरह तैयार हो जाती है, तो निम्न संकेत बताते हैं कि वह सही ढंग से काम कर रही है:
- जिस स्थान पर फिस्टुला बनी है, वहाँ उंगलियाँ रखने पर हल्की कंपन महसूस होता है – इसे “थ्रिल” कहा जाता है।
- उस स्थान पर कोई दर्द, सूजन या लालिमा नहीं होती।
- एक सफल फिस्टुला डायलिसिस के दौरान खून का निरंतर बहाव बनाए रखती है।

सर्जरी के बाद देखभाल कैसे करें?
सर्जरी के बाद सही देखभाल आपके ज़ख्म को भरने और AV फिस्टुला को पूरी तरह तैयार होने में मदद करती है। निम्न बातों का ध्यान रखें:
- स्थान को साफ और सूखा रखें
- भारी सामान न उठाएं, उस हाथ पर न सोएं
- हाथ की पकड़ मजबूत करने वाली एक्सरसाइज करें
- टाइट कपड़े, गहने या BP कफ से बचें

फ़ॉलो-अप क्यों ज़रूरी है?
ज़ख्म के भरने और फिस्टुला के तैयार होने की जाँच के लिए नियमित फ़ॉलो-अप बहुत ज़रूरी होते हैं। निम्न चरणों में फ़ॉलो-अप किया जाता है:
- पहली विज़िट (7 दिन बाद): ज़ख्म की जांच और यह देखने के लिए कि फिस्टुला खुली (पेटेंट) है या नहीं।
- दूसरी विज़िट (1 से 1.5 महीने बाद): डायलिसिस शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित करना कि फिस्टुला उपयोग के लिए तैयार है।
- तीसरी विज़िट (3 महीने बाद): यह देखने के लिए कि कहीं फिस्टुला में कोई संकुचन (narrowing), रुकावट या खून के बहाव में कोई समस्या तो नहीं है।
अगर किसी भी समय आपको दर्द, सूजन या कोई असामान्य लक्षण दिखे, तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें।
डायलिसिस टेक्नीशियन के लिए महत्वपूर्ण सूचना
- डायलिसिस शुरू करने से पहले हमेशा फिस्टुला पर थ्रिल (हल्की कंपन) की जांच करें।
- अगर थ्रिल आसानी से महसूस नहीं हो रही हो, तो स्टेथोस्कोप की मदद से खून के बहाव की आवाज़ सुनें।
थ्रिल का न होना फिस्टुला फेल होने का संकेत हो सकता है।
- हर बार सुई लगाने के लिए एक ही स्थान का इस्तेमाल न करें।
- इससे फिस्टुला पर गुब्बारे जैसा उभार (aneurysm) बन सकता है या फिस्टुला पूरी तरह बंद भी हो सकती है।

AV फिस्टुला फेल होने के संकेत
अगर आपको निम्न में से कोई भी लक्षण दिखें, तो तुरंत अपने डॉक्टर को सूचित करें:
- फिस्टुला छूने पर कोई कंपन (थ्रिल) महसूस नहीं होना
- फिस्टुला वाले स्थान पर सूजन, दर्द या त्वचा का रंग बदल जाना
- डायलिसिस के दौरान परेशानी होना — जैसे सुई डालने में कठिनाई या खून का बहाव कम होना समय रहते ध्यान देने से आपकी फिस्टुला को बचाया जा सकता है।
AV फिस्टुला के लिए सही स्थान कैसे चुना जाता है?
AV फिस्टुला आमतौर पर कलाई, बाजू या ऊपरी हाथ में बनाई जाती है। अगर हाथ की नसें उपयुक्त न हों, तो इसे पैर में भी बनाया जा सकता है।आपकी नसों की सही स्थिति जानने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड द्वारा एक जांच करते हैं, जिसे वेइन मैपिंग कहा जाता है।अगर नस बहुत पतली या कमज़ोर हो, तो फिस्टुला सही तरह काम नहीं करेगी या जल्दी फेल हो सकती है।
सही स्थान पर बनी फिस्टुला लंबे समय तक चलती है और डायलिसिस के दौरान कम समस्याएं नहीं होती।
वेन मैपिंग क्या है?
वेन मैपिंग एक साधारण अल्ट्रासाउंड स्कैन होता है, जो AV फिस्टुला की सर्जरी से पहले किया जाता है।
इससे यह पता चलता है कि आपकी नसों की स्थिति कैसी है — वे कितनी गहरी, चौड़ी और मजबूत हैं।
यह जानकारी सर्जन को सबसे उपयुक्त और सुरक्षित नस चुनने में मदद करती है।
इस जांच में लगभग 10–15 मिनट का समय लगता है और इसमें कोई इंजेक्शन नहीं दिया जाता। न सूई, न दर्द, न रिस्क!

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